सोमवार, 3 मई 2010

जीवन की मांगे......

नझरो से वो निहाल कर देते है ,जो संतो के नझरो मे आ जाते है…

ब्रह्मज्ञानी कि दृष्टी अमृत वर्षी l

ब्रह्म ज्ञानी कि मत कौन बखाने ll

ब्रह्मज्ञानी मुगत जुगत का दाता….l

ब्रह्मज्ञानी पूर्ण पुरुष विधाता..ll

नानक ब्रह्मज्ञानी सब का ठाकुर …..



…आप कैसे ज्ञानी मुनियों कि संतान हो…क्यो मेरा मेरा करना?..

छुटनेवाली वस्तुओ के लिए मरना..

मकान मेरा तो मकान मरने के बाद साथ मे चलेगा क्या?

फायदा हुआ तो पत्नी खुश हूई , कर्मचारी खुश हुये अच्छा है ,

लेकिन घाटा हुआ तो भी बोलो , ” अच्छा है ” ,

एक दिन जब शरीर ही नही रहेगा तो शरीर के लिए होनेवाले घाटे से क्या रोना?

जो होगा देखा जाएगा..ऐसी सोच बना लो..तो ऍहै !!!!!! …..

शरीर को पंच महाभुतो का अधिश्ठान चाहिऐ , फिर भी मरेगा ….

हम उसके बाद भी रहेंगे .. तो ऍहै !!!!!! …..

ऐसा कर के भगवान मे विश्रांति पाओ ….

.. तो आप के जीवन की ३ मांगे है ;-

स्वाधीनता , प्रेम और विश्रांति..

तो जो भी करो प्रभु के लिए करो..

प्रभु के नाते सब से मिलो..

ईमानदारी से व्यवहार करो तो प्रेम भी आएगा ,

विश्रांति भी आएगी…अपार सुख ..सच्चा सुख मिलेगा …

भगवान का स्मरण प्रीति पूर्वक करो वो ही सच्चा सुख है..…



bapuji k satsang parvachan se......



wah bapu wah .....

kese kese samjate ho.....

ab bhi jo na samja wo murkh hai...

dhanbhag humare jo humne bapuji jese sadguru paye....

jai ho....

hariom...


kamal hirani..

dubai....

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