मंगलवार, 18 मई 2010

महाराष्ट्र: मात्र देवों भव पित्र देवों भव




सत्संग सुनते समय यह सिद्धान्त ले कर सुनना है

कि हम जो सुनेंगे उसे अपने आचरण में लायेगें

बस शास्त्रों मे लिखा है कि

मात्र देवों भव पित्र देवों भव

तैतरिय उपनिषद मे लिखा है ये वचन,

महाराष्ट्र का पुण्डलीक नाम का विद्यार्थी उसने ये वचन सुना

और अपने माता-पिता की सेवा की तो

भगवान उसके आगे प्रकट हो गये

और उनकी याद में अभी भी उस जगह पर मन्दिर बना हुआ है

आज की तारीक में भी है वो मन्दिर पण्डरपुर महाराष्ट्र में।

शास्त्र का वचन उसने माना,

मातृ देवों भव: पितृ देवों भव:

तो उसको शक्ति प्राप्त हो गयी भगवान प्रकट हो गये।

तो शास्त्रों के वचन माननें से,

गुरु के वचन मानने से साधक को शक्ति प्राप्त होती है।

सिद्धि प्राप्त होती है।

हमारे देश में जितने लोग सुबह सुबह अखबार पढ़ते है

उतने लोग यदि भागवत गीता पढ़ने लग जाये ,

यौवन सुरक्षा जैसी पुस्तकें पड़ने लग जायें,

सुबह सुबह ईश्वर की ओर पढ़े


तो हमारा देश कितना उन्नत हो सकता है।

देशवासी कितने उन्नत हो सकते है।


जितना समय फिल्म के गीत सुनने में या गपशप में जात है

उतना समय यदि शान्त बैठे तो,

ध्यान करे तो, कितना उन्नत हो सकते है।


जितनी शक्ति क्रोध करने में खर्च होती है

उतनी शक्ति को अगर हम बचायें गुस्सा ना करें


तो ध्यान लग सकता है।


पर लोगों को पता नही बेचारे अपनी शक्ति खर्च कर देते है,


जितनी शक्ति आखों के द्वारा फ़िल्म देखने में खर्च कर देते है,


उतनी शक्ति को अगर हम बचायें तो ध्यान लग सकता है,


शक्ति खर्च कर देते है फिर अगर बैठे भी ध्यान पर


तो नींद आ जाती है। इसलिये अपनी शक्ति को बचाना सींखे।

bapuji ke satsang parvachan se.....

wah sai wah.....



kitna accha sochte hai bapu ji humare liye.....



her baat main humara he bhala sochte ho mere sai....



teri kesi lila hai mere sai.....



ek chothi si baat main kitne kaam ki baat bata di aapne....



wah mere sai wah aapki jitni tarif karo kam hai.....



waah baapu waah......



jai ho......



hariom..

k.hirani

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