गुरुवार, 6 मई 2010

मैं वारी जाऊँ ....

पिता थाऊमल के घर जन्मे -२ , तेरी जय हो मेह्गिबा के लाल
मैं वारी जाऊँ ....
मैं वारी जाऊँ बापू जी , बलिहारी जाऊँ बापू जी

मोटेरा तेरा धाम है -२ , तेरे भक्त आवे दरबार
मैं वारी जाऊँ ....

भक्तो के तुम कष्ट मिटते -२ , तेरी महिमा अपरम्पार
मैं वारी जाऊँ ....

भक्त जो नाम दान हैं लेते -२ , वो तर जावें भव पार
मैं वारी जाऊँ बापू जी ....

आप तो बापू ज्ञान बांटते -२ , रहे भरा ज्ञान भंडार
मैं वारी जाऊँ ....

ध्यान योग में ख़ुद को तपाया -२ , बने आसुमल से आसाराम
मैं वारी जाऊँ ....

नाथ सुनाऊँ अनुभव अपना -२ , हो गया हरि से प्यार
मैं वारी जाऊँ ....

हम भी बापू बालक तेरे -२ , "शुभ" चरणों में पावे वास
मैं वारी जाऊँ बापू जी ....

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें