शनिवार, 22 मई 2010

एक करोड़ रुपिया दूंगा ..(बापूजी सत्संग )




दुःख क्यों आता है

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बेवकूफी और बे -इमानी के बिना दुखी होकर दिखाए :-

मेरा मेरा जानने की बेवकूफी की तभी दुःख होता है

…जो छूटने वाला है उसको अपना मानते हो ,

मेरा मेरा जानते हो वो चला गया इसलिये दुःख है …

बे -इमान बनो तभी दुखी हो सकते हो..

समता से रहोगे – सुख दुःख आता जाता है लेकिन सच्चिदानंद सदा साथ है ऐसा जानोगे तो

दुःख नही होगा ..

ऐसी समता से दुःख का रोना रो के दिखाओ एक करोड़ रुपिया दूंगा ..

बेवकूफी और बे -इमानी से ही दुःख होता है

…बिल्कुल सीधा गणित है …

बेवकूफी और बे -इमानी किए बिना दुःख का रोना रोके दिखाओ ,

एक करोड़ रुपिया देता हु …:-)

..इतना सत्संग सुनने के बाद भी दुःख से छूटते नही तो बेवकूफी है …

”जी महाराज ” कर के सत्संग सुनते है तो बेवकूफ ही रहोगे ..

सुख दुःख से ऊपर उठाने के लिए ,

समता लाने के लिए समझ और पुरुषार्थ की जरुरत है ..

जब तक आत्मा को नही जाना तब तक दुखो से घिरो रहोगे ..

सत् -चित – आनंद रुपाय ….नारायण हरी ….

सत्संग से जो ज्ञान मिलता है वो धन से ,

दान से , पुण्य से , देवी देवता से , सत्ता से , बल से

..किसी से नही मिलता ….सच्चे भक्त बनो

और अपने गुरू महाराज को पहचानो ..

सिर्फ़ “जी महाराज ” नही …

नारायण हरी ..ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ..


बापूजी के सत्संग परवचन से....

कितना सरल समझाते हो मेरे बापू .....

हम नादान फिर भी समझ नही पाते...

वाह बापू वाह....

आपकी लीला निराली ...

जय हो ...

हरिओम

कमल हिरानी ,दुबई

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