बुधवार, 16 जून 2010

खतरनाक आदमी




दूसरों पर उपकार न कर सको तो कोई ज्यादा चिन्ता की बात नहीं

लेकिन कम से कम तुम अपने पर तो उपकार करो।

आत्मकृपा करो।

जो आदमी अपना उपकार नहीं कर सकता वह यदि दूसरों पर उपकार करने का ठेका ले

तो समझो वह खतरनाक आदमी है।

लड़ाई झगड़ा करके दूसरों को सुधारने के लिए बहुत लोग उत्सुक हैं

परन्तु अपने को सुधारने के लिए, मन को समझाने के लिए कौन उत्सुक है ?

जो अपने को सुधारने के लिए उत्सुक होते हैं, जो ध्यान करते हैं उनकी सोई हुई जीवनशक्ति जाग्रत हो जाती है।

कम से कम तुम अपने आपको सँभालो।

दूसरों को नहीं सँभालोगे तो चल जायगा।

अपने आपको सँभालोगे तो दूसरे अपने आप सँभल जायेंगे।

अपने को नहीं सँभाला तो दूसरों को सँभालने की भ्रांति होगी।

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