सोमवार, 21 जून 2010

१५ दिन में एक बार तो व्रत रखना ही चाहिऐ एकादशी का…





गुरुदेव ने कहा कई लोग व्रत करते हैं और आइस-क्रीम /कोका- कोला पीते हैं…

अरे उसमें तो हड्डियों का तेल निकाला हुआ डालते हैं …

केमिकल डालते हैं…व्रत में तो निम्बू पानी पी लिया…

सुबह सुबह अथवा रात को थोडा दूध पी लिया और थोडा सेब(ऐपल) फल खा लिया,बस हो गया…

केले भी नहीं खाने चाहिऐ जादा…

व्रत कि भुखमरी से जठरा को अन्न नहीं मिलता तो जठरा रोग को पचा लेती है,

आदमी निरोग रहता है…

एक ९५ साल के “जवान” से पूछा आप अभी तक ९५ साल में “जवान”कैसे हैं?

बोले मैं हफ्ते में एक बार कडा व्रत रखता हूँ…

और मौसम बदलता है तो हम दस-दस दिन के व्रत रखते हैं…

और भोजन में हम सलाद खाते हैं थोडा…

इसीलिये ९५ साल में भी मैं जवान जैसा…

जो तीसों दिन खाना खाते हैं वोह जल्दी बुड्ढे होते हैं

और बीमारियों के घर हो जाते हैं…

हफ्ता में एक दिन व्रत तो रखना चाहिऐ,

नहीं रखे तो १५ दिन में एक बार तो व्रत रखना ही चाहिऐ एकादशी का…

जिससे पाप और रोग मिटें…

लेकिन जो बुड्ढे हैं, कमजोर हैं, डायबिटीज़ कि तकलीफ है…

वोह व्रतना रखे तो चल जाएगा…अथवा कोई व्रत रखता है और कमजोर है तो किश्मिश खाए…

डायबिटीज़ वाला भी किशमिश खायेगा तो डायबिटीज़ में भी आराम है और ताक़त भी रहेगी…

दूध का भी काम करे, फल का भी काम करे किशमिश…

दूध पचाने में जितना समय लगे उस से भी आधे समय में किशमिश पाच जाये,

लेकिन किशमिश धोये बिना नहीं खानी चाहिऐ…

क्योंकि उसको केमिकल लगा के रखते हैं, जंतु-नाशक दवाई…धो के ही किशमिश खानी चाहिऐ…


गुरुदेव के बौन्द्सी सत्संग (सन्डे, 23-sep) के कुछ अमृत बिन्दु ....

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