शनिवार, 26 जून 2010

असली सुख ...



विश्वासो फलदायकः।

गप्पे लगाकर, फिल्में देखकर जो सुख चाहते हैं, वह नकली सुख है, विकारी सुख है, तुमको संसार में फँसाने वाला है

और भगवान की प्रीति से, पुकार से जो सुख मिलता है वह असली सुख है,

आनंददायी सुख है। उस असली सुख से आपकी बुद्धि बढ़ेगी, ज्ञान बढ़ेगा, आपमें भगवान का सौंदर्य,

प्रीति और सत्ता जागृत हो जायेगी।




केवल भगवान को प्रीतिपूर्वक सुबह-शाम पुकारना शुरु कर दो। दिन में दो-तीन बार कर सको तो अच्छा है।

फिर आप देखोगे कि अपना जो समय असत् उपाधियों के असत् अहंकार में पड़कर बर्बाद हो रहा था,

वह अब बचकर सत्स्वरूप परमात्मा के साथ एकाकार होने में,

व्यापक होने में, आत्मा के असली सुख में पहुँचाने में कितना मददरूप हो रहा है

! फिर धीरे-धीरे असली सुख का अभ्यास बढ़ता जायेगा

और आप व्यापक ब्रह्म के साथ एकाकार होकर जीवन्मुक्त हो जाएँगे।

बापूजी की अमृतवाणी .....

बापूजी आप हमे कितना समजाते हो ....

और हम मुर्ख समझ ही नही पाते

वाह बापू वाह ....

धन्भाग्य हमारे जो हमने आप जेसा सदगुरु पाया ....

जय हो ...

जपते रहे तेरा नाम ....

जय बापू आशाराम ....

हरिओम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्

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