बुधवार, 30 जून 2010

तीन सवाल..........(सबसे श्रेष्ठ कौन है) .... सत्संग



एक राजा जिस साधु-संत से मिलता, उनसे तीन प्रश्न पूछता।

पहला- कौन व्यक्ति श्रेष्ठ है?

दूसरा- कौन सा समय श्रेष्ठ है?

और
तीसरा- कौन सा कार्य श्रेष्ठ है?

सब लोग उन प्रश्नों के अलग-अलग उत्तर देते,

किंतु राजा कोउनके जवाब से संतुष्टि नहीं होती थी।

एक दिन वह शिकार करने जंगल में गया।

इस दौरान वह थक गया, उसे भूख-प्यास सताने लगी।

भटकते हुए वह एक आश्रम में पहुंचा।

उस समय आश्रम में रहने वाले संत आश्रम के फूल-पौधों को पानी दे रहे थे।

राजा को देख उन्होंने अपना काम फौरन रोक दिया।

वह राजा को आदर के साथ

अंदर ले आए। फिर उन्होंने राजा को खाने के लिए मीठे फल दिए।

तभी एक व्यक्ति अपने साथ एक घायल युवक को लेकर आश्रम में आया।

उसके घावों से खून बह रहा था।

संत तुरंत उसकी सेवा में जुट गए।

संत की सेवा से युवक को बहुत आराम मिला।

राजा ने जाने से पहले उस संत से भी वही प्रश्न पूछे।

संत ने कहा,

'आप के तीनों प्रश्नों का उत्तर तो मैंने अपने व्यवहार से अभी-अभी दे दिया है।'

राजा कुछ समझ नहीं पाया। उसने निवेदन किया,

'महाराज, मैं कुछ समझा नहीं।

स्पष्ट रूप से बताने की कृपा करें।'

संत ने राजा को समझाते हुए कहा,

'राजन्, जिस समय आप आश्रम में आए मैं पौधों को पानी दे रहा था।

वह मेरा धर्म है।

लेकिन आश्रम में अतिथि के रूप में आने पर आपका आदर सत्कार करना

मेरा प्रधान कर्त्तव्य था।

आप अतिथि के रूप में मेरे लिए श्रेष्ठ व्यक्ति थे।

पर इसी बीच आश्रम में घायल व्यक्ति आ गया।

उस समय उस संकटग्रस्त व्यक्ति की पीड़ा का निवारण करना भी मेरा कर्त्तव्य था,

मैंने उसकी सेवा की और उसे राहत पहुंचाई।

संकटग्रस्त व्यक्ति की सहायता करना श्रेष्ठ कार्य है।

इसी तरह हमारे पास आने वालों के आदर सत्कार करने का,

उनकी सेवा-सहायता करने का समय ही श्रेष्ठ है।'

राजा संतुष्ट हो गया।

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