शनिवार, 5 जून 2010

एक ....मछली......वाली ....श्री सुरेशानंद्जी महाराज का सत्संग




जिसके जीवन मे भगवान के नाम कि दीक्षा नही उसका जीवन सफ़ल नही हो सकता..

जिसको भगवान नाम मे रूचि नही , वो नर रूप मे पशु समान है..

किसी किसी को कोई विधि निषेध नही होते ,

जप कि क्या जरुरत है पूछते है….नही भाई साहब !..जप कि बहोत जरुरत है!!….

एक महिला नदी किनारे मछालिया पकड़ कर बेचती और अपना गुजरा करती..

उसकी सहेली थी जो मालन थी, फूलो की मालाये बनाकर गुजारा करती थी..

एक दिन मछली बेचने वाली को उसकी सहेली मालन मिल गयी तो दोनो फूल वाली मालन के घर चले गए..

बात करते करते खाना पीना खाते रात होने को आयी

तो मालन बहन को बोली यहा ही सो जाओ बहन ..

उसने अच्छे से फूलो की बाडी की तरफ से जहा हवा आती थी वहा

मछालिवाली बहन का बिछाना लगा दिया..

ता कि फूलो कि सुगंध आए और मछालिवाली बहन को अच्छी नींद आये..

लेकिन मछालिवाली बहन सो नही पाए…

फूल वाली बहन ने पूछा कि, “क्या हुआ?”..

मछालिवाली बहन बोली कि , ” मुझे बदबू आ रही है..!”…

जरा मेरी टोकरी मे कपडा होगा मछली का उसपर पानी छाटू ,

अपने पास रखू तो शायद मुझे नींद आ जाये…

तो फूल वाली बहन ने वोह मछालिकी बदबूवाला कपडा दिया

और उसे सूंघते हुये वोह मछालिवाली बहन सो गयी..

ऐसे ही कितनों को साधना की सुवास अच्छी नही लगती..

व्यर्थ कि बातो मे , गन्दी फिल्म देखने मे अपना जीवन तबाह कर देते है…

उसी के आदि हो जाते है….ये बदबू है इतना भी समझने का अवसर अपने आप को नही देते…

गुलाब को उठाओ तो सुगंध आएगी….




..सत्च्चितानंद स्वरुप भगवान का नाम गुरू से मिला हुआ नाम जपो तो कल्याण हो जाता है..


नाम मे इतनी शक्ति है..

हरिओम ...........

श्री सुरेशानंद्जी महाराज का सत्संग
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Friday,5th Oct07,
baksi -12 Km from Ujjain

हरिओम
कमल हिरानी,
दुबई

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