शुक्रवार, 4 जून 2010

बच्चे कल का भविष्य.....(बाल संस्कार केंद्र )





अपने बेटे बेटियों को बार बार नही टोके;

नही तो लुच्चे लफंगो के चक्कर मे आएंगे.

उनके अवगुण बार बार याद दिलाकर कोसो नही..

वो अपने अवगुण सुधरेंगे ऐसे उनके होसले बुलंद करो…

धीरे से समझाए कि , “तुम्हारे मे दोष नही ..

तुम तो निर्दोष आत्मा हो…दोष तो शरीर और मन मे आते है..

तुम तो मेरे लाल हो बेटे.

.थोडा ये गलती निकाल दो..”

ऐसे कहे के अपने बच्चो को मदत करो…

बेटे बेटी की गलती निकल जायेगी..

अलार्म से बच्चो को नही जगाये..

घर के बडो ने ये काम करना चाहिऐ कि प्यार से ,

स्नेह से सब को उठाए..”जागो मोहन प्यारे” ऐसे भगवान का नाम लेकर जगाये..

तो दिनभर ईश्वर का आनंद रहेगा…





(* सदगुरूदेव ने सत्संग के तुमुल ध्वनि के लाभ बताते हुए

संत तुलसीदास के और कबीर जी के दोहे गए..**

और कंठ मे ओमकार का जप करनेवाला भ्रामरी प्राणायाम २ बार सुबह और शाम करने को कहा…)


पूज्य श्री के सत्संग परवचन से...

देखा बापूजी हमारा तो ख्याल रखते है

साथ में हमारे बाद आने वाले हमारे बच्चो का भी कितना ख्याल रखते है

वाह बापू वाह...

जग में नही कोई ऐसा....मेरे बापू जेसा...

जय हो....

हरिओम्म्म्म्म्म्म्म्म् ...........

कमल हिरानी,दुबई

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