मंगलवार, 22 जून 2010

मैं जोर जोर से रोने लगी ...(अनुभव)


इतने दिनों से सोच रही थी की अनुभव बताऊ की नही ....
दो साल पहेले की बात है बापूजी के सत्संग मैं सुना
मैं तुम्हारे ह्रदय से बोलूँगा

मुझे विश्वास नही हुआ अपने स्वर्गीय पिता की कसम खाके कहेती हु
कुछ दिनों बाद ध्यान में मेरे ह्रदय से जोर जोर से बापूजी की आवाज़ आई
एक बार को दो मिनट तक मुझे विश्वास नही हुआ
मुझे लगा मुझे वहम हुआ है
दूसरी बार आधा घंटा .....

मैं बहुत डर गयी .....
ऐसा लग रहा था जेसे किसी ने मेरे ह्रदय मैं स्पीकर फिट कर दिया हो
मैं उठ के दुसरे कमरे में चली गयी फिर भी आवाज़ शुरू थी
मैंने ह्रदय पे हाथ रख के देखा की कही वहम तो नही
फिर पूजा के कमरे मैं भागी भागी गयी
और बापूजी के फोटो के सामने बोली ...

बंद कीजिये अपनी लीला ....
तो वे बोले अब विश्वास हुआ ..
मैं जोर जोर से रोने लगी ...
माँ की गोद में मैं बहुत रोई ..
और बापू जी से क्षमा मांगी ..
मेरे बापू मेरे है..
परम पिता परमेश्वर है ...

स्मिता पुरुषोत्तम निशाने
(भावसार)
बेंगलोर


वाह बापू वाह....
आपकी लीला है निराली ...जो न जाये बखानी
जय हो ....
हरिओम्म्म्म्म्म्म्म्

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