मंगलवार, 29 जून 2010

सफलता के राज़ (बाल-संस्कार केन्द्र स्पेशल )






1.कराग्रे वसते लक्ष्मी: करमध्ये सरस्वती ।


करमूले तु गोविंद: प्रभाते करदर्शनम् ॥



हर रोज प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में उठना, ईश्वर का ध्यान और 'कर दर्शन' करके बिस्तर छोड़ना तथा सूर्योदय से पूर्व स्नान करना ।




२.अपनी सुषुप्त शक्तियाँ जगाने एवं एकाग्रता के विकास के लिए नियमित रूप से गुरुमंत्र का जप ,



ईश्वर का ध्यान और त्राटक करना ।







3.बुद्धि शक्ति के विकास एवं शारीरिक स्वास्थ्य के लिए हर रोज प्रातः सूर्य को अर्घ्य देना ,



सूर्य नमस्कार एवं आसन करना ।



४.स्मरण शक्ति के विकास के लिए नियमित रूप से भ्रामरी प्राणायाम करना एवं तुलसी के ५-७ पत्ते



खाकर एक गिलास पानी पीना ।



५.माता -पिता एवं गुरुजनों को प्रणाम


करना । इससे जीवन में आयु, विद्या, यश, व बल की वृद्धि होती है ।




६.महान बनने का दृढ़ संकल्प करना तथा उसे हर रोज दोहराना,


ख़राब संगति एवं व्यसनों का दृढ़तापूर्वक त्याग कर अच्छे मित्रों की संगति करना तथा चुस्तता से ब्रह्मचर्य का पालन करना ।


७.समय का सदुपयोग करना, एकाग्रता से विद्या-अध्ययन करना और मिले हुए ग्रहकार्य को


हर रोज नियमित रूप से पूरा करना ।


८.हर रोज सोने से पूर्व पूरे दिन की परिचर्या का सिंहावलोकन करना और

गलतियों को फिर न दोहराने का संकल्प करना,



तत्पश्चात ईश्वर का ध्यान करते हुए सोना ....



बापूजी के सत्संग से .....


वाह बापू वाह .....

कितना समजाते हो....


हम नादान पता नही कब समजेंगे

आप हमारा तो भला करते हो पर हमारी आने वाली पीडी का भी कितना ख्याल रखते हो

जेसे एक बाप अपने बच्चो का ख्याल रखता है

धन्य हुए हम जो आपको पाया ...

जय हो ...

जपते रहे तेरा नाम जय बापू आशाराम ...

कोई माने या न माने हम भक्त तेरे दीवाने....



हरिओम्म्म्म्म्

कमल हिरानी, दुबई

kem.hirani@yahoo.co.in

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