मंगलवार, 20 अप्रैल 2010

जब प्राण तन से निकले

इतना तो करना स्वामी ,जब प्राण तन से निकले
गोविन्द नाम लेकर, फ़िर प्राण तन से निकले ,
श्री गंगा जी का तट हो ,यमुना का वंशी वट हो ,
मेरा सांवरा निकट हो ,जब प्राण तन से निकले
श्री वृन्दावन का स्थल हो, मेरे मुख में तुलसी दल हो ,
विष्णु चरण का जल हो ,जब प्राण तन से निकले
जब कंठ प्राण आवे, कोई रोग न सतावे ,
यम दर्श न दिखावे ,जब प्राण तन से निकले
सुधि होवे नही तन की, तयारी हो गमन की ,
लकड़ी हो ब्रज के वन की ,जब प्राण तन से निकले
ये नेक सी अरज है ,मानो तो क्या हरज है ,
कुछ आपका फर्ज़ है ,जब प्राण तन से निकले
इतना तो करना स्वामी ,जब प्राण तन से निकले ....

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