रविवार, 18 अप्रैल 2010

संतो का आदर


सदगुरुदेव के बारे में चैनल वालो ने और कु-प्रचार वालो ने कितनी अफवाए उडाई॥


लेकिन जीत सदा सत्य की होती है…


सत्य मेव जयते॥


सत्संगियो की भीड़ बढाती ही जा रही है…।


बापूजी बोलते की हम अपनी बुध्दी को ऐसी बनाए की


अनुकूल और प्रतिकूल स्थिति में बिगड़े नहीं॥


चाहे कैसी भी परिस्थिति आये, बुध्दी अपना सौन्दर्य ना खोये॥


बुध्दी में समता, धीरता की लक्ष्मी है अपनी बुध्दी में, वो खोये नहीं..


आज कई टीवी चनेलो पर बाबा रामदेव जी का इंटरव्यू दिखा रहे थे,


किसी ने मुझे बताया…तो उन से पूछा गया की बापूजी के बारे में ऐसा ऐसा बोला जाता है॥


तो बाबा रामदेव जी ने प्रश्नकर्ता को सुनाया की,


पहेले तो आप पूज्य आसाराम जी बापू का नाम आदर से लेना सीखो॥


पूज्य बापूजी की जीवनी देखो॥ बढती प्रतिष्ठा , लोकप्रियता के कारण कुप्रचार हो रहा है॥


लेकिन तुम न्यायाधीश कैसे बन गए…


बाबा रामदेवजी ने ये ही उत्तर दिया…


प्रणाम है ऐसे रूशी को…सत्य की जीत होती ही है…


कितनी भीड़ है सत्संगियों की…


कल्पना और द्वेष के आधार पर लगे आरोप कभी सिध्द नहीं होते॥


आरोप लगानेवालो के बुध्दी में द्वेष भरा होता है॥


थोड़ा तो इंसानियत रखो॥


मनुष्य को बोलना पड़ता है मनुष्य बनने के लिए, कुत्ते को नहीं॥




॥एक मनुष्य को बहोत प्यास लगी तो एक सेठ के पास पानी मांग रहा था…॥


सेठ बोला, ‘आदमी आयेगा वो पिला देगा॥’थोड़ी देर इंतज़ार किया॥


आदमी नहीं आया तो उस आदमी को बहोत प्यास लगी थी ॥


वो बोला,‘सेठ जी थोड़ी देर के लिए आप ही आदमी बन जाओ ना॥’


रावण सीताजी का अपहरण कर के जा रहा था तो जटायु ने कितनी कोशिश की


सीता मैय्या की रक्षा करने की॥


इस देश का मनुष्य कम से कम जटायु जैसी समझ रखनेवाला तो होना ही चाहिए॥



संतो का आदर ना कर सको तो कोई बात नहीं, लेकिन अनादर तो ना करे…


सुरेश बापजी क सत्संग से..............



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