गुरुवार, 22 अप्रैल 2010

बापूजी की सचाई (आत्मसाक्षात्कार क्या है?2)

जब मैं अनुष्टान करता नर्मदा किनारे तो मंत्र की पुरी संख्या नही होती

तब तक कभी रात्रि के 11 बजते तो कभी 12……

और भी देर हो जाती नियम पुरा करने में

तो सोना भी देर से हो जाता…

जवानी थी, 22 साल की उमर थी…

तो नींद भी ऐसे आती की ….

जिस गुफा में जप करता उस गुफा में रात को छुछुंदर

फुक मारकर पैरो के तलवे खा जाता पता ही नही चलता ..

दुसरे दिन चलता तो उस में कंकर रेती घुस जाती

तब पता चलता…..
किसी संत ने देखा… बोले,

“अरे, ये तो छुछुंदर ने खाया है, पता नही चलता!”

हम ने बोला, “पता नही ….. अनुष्ठान में हूँ!”

…. शिव मन्दिर में जल चढाते तो श्री विग्रह से फूल पड़ता ,

माला पड़ती तो ये तो शगुन है की भगवान प्रसन्न है……

तो मैं बोलता, “भगवान आप प्रसन्न है ,

लेकिन कैसे मिलेंगे ये बताओ….

बार बार ध्यान में अन्दर से आवाज आती की


लीलाशाह बापूजी के पास जाओ ! “

मैं बोलता , “तुम कौन बोल रहे हो?”

जिस को तुम मिलना चाहते हो ,

मैं वो ही बोल रहा हूँ..

तुम लीलाशाह महाराज के पास जाओ..मैं तुम्हे मिलूँगा!”

मैं बोलता, “ये मेरे मन की आवाज है की देव की – ये कैसे पता चले?”

तो अन्दर से आवाज आती कि , “नही बेटा, मैं वो ही बोल रहा हूँ…

तुम लीलाशाह जी महाराज के पास जाओ ….

शिवजी , पार्वती, गणपति सभी के रूप में मैं वहा मिलूँगा…!”

ऐसा कई बार भाव आता था ….

40 दिन पुरे होते ही मैं चल पड़ा ..

माँ और उस की बहु आ धमकी थी मेरे एक मित्र के साथ….

.माँ और उस की बहु मुझे घर ले जाना चाहते ,

समझाता तो हल्लागुल्ला होगा…

इसलिए मित्र से चुपचाप अहमदाबाद के 3 टिकेट

और बम्बई का एक टिकेट मंगवाया….

मियागांव जंक्शन पे दोनों ट्रेन आमने सामने खड़ी होती….

तो बातचीत करूँगा और ट्रेन चल पड़ेगी

तो मैं भाग के बम्बई के ट्रेन में चला जाऊंगा….

तो मियागाँव जंक्शन में ऐसा करेंगे….

माँ और माँ की बहु की टिकेट मित्र के पास थी…

सामने बम्बई जानेवाली गाड़ी खड़ी थी…

उस का सिग्नल हुआ तो “मैं अभी आया” ऐसा कर के भागा…..

“क्या हुआ?” …मैं गाड़ी में बैठा…. माँ चिल्लाई….

फिर क्या क्या हुआ….. “पकडो पकडो!” “


क्या लेके भागा?”..

माँ बोली , “कुछ लेके नही भागा..मेरा बेटा था” …..

चालू गाड़ी में हम तो बैठ गए….

गुरूजी से मिलने कि अन्दर से प्रेरणा हो रही थी…

.शिवजी बार बार बोलते , “मैं वो ही मिलूँगा!”….

माँ रुदन करेंगी..

माँ को समझाऊ तो माँ की बहु के दिल पर क्या गुजरेगी…..

हमारे ह्रदय में कैसी शक्ति दिया….

कितना मेहेरबान हुआ होगा… उसी का फल है ये!

….रात भर ट्रेन चली… दुसरे दिन सुबह स्टेशन पे उतरे …

गणेशपुरी गए…वहा से वज्रेश्वरी गए….

किसी सेठ का मकान था…

गुरूजी के लिए था..

सुबह सवा 9 बजे होंगे….गुरु जी घूमने निकले थे…

हम चरणों में गिर पड़े….

गुरु जी बोले, “क्या हुआ?वापस क्यों आया?”
वाणी से तो कुछ न निकला…..आँखों से आंसू निकल पड़े….

गुरूजी बोले, “अच्छा…. भगवान सब ठीक करेंगे…”

पानी गरम हुआ तो उफलना ही है….

घर में बिजली का सारा सामान फिट हो गया

और पॉवर हाउस से बिजली भी आ गई

तो फ्यूज को दबाना और स्विच ऑन करना है…..

गुरु जी बोले, “भगवान सब ठीक करेंगे….

आसन नियम ध्यान कर..आराम कर…”

तो हम नहाये, आसन नियम ध्यान किए…

आराम कर रहे थे की करीब २ बजे होंगे…

गुरु जी का एक सेवक था वो आया ..बोला, “साईं ने बुलाया…”

साईं बैठे थे..मेरे को इशारा किया की बैठ….


पंचलक्षी उपनिषद का ७ वा अध्याय चल रहा था….

“ध्यान से सुन…”(साईं ने इशारा किया)

पंचलक्षी उपनिषद का ज्ञान तो हाई लेवल का होता है…

सेवक पढ़ रहा था…
“ध्यान से सुन…” गुरूजी ने इशारा किया…

मैं सुन रहा था…गुरूजी बैठे थे ..घटना ऐसी घटी….

ऐसे तो कई बार ध्यान में बैठते तो आनंद होता…

ध्यान में आनंद आता …..लेकिन ये और कुछ विशेष था….

अब वहा शब्द नही मेरे पास …

…फिर जो भी हुआ ना …शब्द से बाहर निकल गए……
गहेरी नींद में बोला जाता है क्या?

कोई सवाल करे की , “गहेरी नींद में हो?”

तो आप बोले , “ हां , मैं ठीक से गहेरी नींद में सोया हूँ…”

ये हो सकता है क्या? ऐसे ‘साक्षात्कार हुआ तो क्या हुआ’

आप इस विषय में बोल नही सकते….

इस के इर्द गिर्द के बोल सकते !!

आज वो ही साक्षात्कार दिन है….

सेवक पढ़ते..गुरूजी व्याख्या करते….

मैं ध्यान देकर सुन रहा था….

मेरे नासमझी का परदा दूर हुआ…

अढाई दिन तक उस में रहे….

गुरूजी की कृपा से होश संभाले….

आज इस घटना को 46 साल हो गए….
किसी ने पूछा , “ब्रम्हज्ञानी की पहेचान क्या?”
.. मैंने कहा , सच्चे शराबी की क्या पहेचान है?

जो दुसरे को शराबी बना दे….

ऐसे सच्चे ब्रम्हज्ञानी की ये पहेचान है

की संत के संग सत्संग के मस्ती में आ जाए ऐ हैईई !॥


वो चाहते सब झोली भर ले…निज आत्मा का दर्शन कर ले l
एक सौ आठ जो पाठ करेंगे , उन के सारे काज सरेंगे ll


नारायण नारायण नारायण नारायण

रब का ज्ञान जिन को मिला है, वो दिन बड़ा है….

जनम दिन, शादी का दिन तो कईयों का होता…

आत्म – साक्षात्कार दिवस किसी किसी का हुआ होगा…..

जिनका आत्म-साक्षात्कार हुआ उन को इच्छा ही नही होती की


साक्षात्कार दिन मनाये ….ऐसी स्थिति हो जाती है… .. आप मुझे चंडीगढ़ में सुन रहे है….

देश विदेश में कई जगह लोग सुन रहे देल्ही, अमदाबाद , बनारस, बम्बई, नागपुर,

नाशिक, औरंगाबाद , आगरा, भावनगर, जयपुर उल्हासनगर, नांदेड , वर्धा, रायपुर,

इंदौर , कोटा , भोपाल , छत्तीसगढ़ , बरोड़ा, गोधरा, हैदराबाद, बालाघाट और भी कई

जगह और विदेशो में भी कई जगह में सुन रहे….सिंगापूर, केनिया , कनाडा, इटली

, होन्गकोंग , अमेरिका , दुबई और यूरोप में कई जगह लोग सुन रहे है…

बापूजी के सत्संग परवचन से....


bapuji k satsang parvachan se..........

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