सोमवार, 5 जुलाई 2010

११ साल के बाद आये है तो खजाना देके जायेंगे…

सदगुरूदेव संत शिरोमणि परमपूज्य श्री आसारामबापूजी की अमृतवाणी :-





भगवान कृष्ण शुध्द हवा के लिए वृन्दावन वालो को लेकर वन दिवस मनाने गए …

दोपहर मे यहावहा जंगल घूमते हुए देखा की एक सूखे कुए मे एक किरकिट बहोत झट पटा रहा है…

श्रीकृष्ण भगवान ने उसपे दृष्टी डाली तो उसका झटपटाना रुका और उसके शरीर से दिव्य पुरुष प्रगत हुआ…

तो कृष्ण भगवान बोले..“स्वागत है देवता...कैसे पधारे?

तो वो दिव्य पुरुष बोला..“हे माधव, आप जानते है ,मैं कौन हूँ..

आप ने ही मुझे किरकिट के योनी से मुक्ति दिलाई है

और उपस्थित लोगो को उपदेश देने के लिए मुझे पूछ रहे हो….

मैं इतना पराक्रमी राजा था की बडे बडे राजा को डर लगता और वीर राजाओ का मैं मित्र था….

मैंने अपने यश के लिए इतनी गाये दान की ,

आसमान के तारे गिन सकते है लेकिन मैं ने इतनी गाये दान की इसको कोई गिन नही सकता….

अभी भी मेरा नाम लिया जाता है…”

तो भगवन कृष्ण ने पूछा “क्या तुम राजा नृग हो ?”

तो दिव्य पुरुष बोला “ हा मैं वोही अभागा राजा नृग हूँ…

जो भी किया अंहकार दिखाने के लिए किया …

गुरु के चरणों मे नही गया,






सत्संग के वचन नही सुने इसलिए ये स्थिति हो गयी थी..

अब आप की कृपा से मुक्ति मिली है..”

तो कितने राजे महाराजे भी अजगर हो जाते, हिरन हो जाते,

किरकिट हो जाते , कछवा हो जाते…

इससे बचने के लिए गुरु से मंत्र दीक्षा और सत्संग ही उपाय है…


तो कल मंत्र दीक्षा मिलेगी… हाई बीपी ,

लो बीपी नही हो, हार्ट अटैक न हो by– पास ऑपरेशन नही करना पड़े ऐसा भी एक मन्त्र देंगे..


११ साल के बाद आये है तो खजाना देके जायेंगे…








२९ नवम्बर २००७,
पेतलावाद नगरी
(म. प्रदेश )

बापू जी के सत्संग परवचन से...

वाह मेरे जोगी ....

कितना ख्याल रखते हो सबका ....

तेरे दर पे हो बसेरा ....

मेरे गुरुदेवा....

तुम्हारे बिन नही रहना...

अब दूर ऐ हुजुर...

जय हो....

जपते रहे तेरा नाम...जय बापू आशाराम...

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