रविवार, 10 जुलाई 2011

शयनी एकादशी का महात्म्य- 11th July 2011

शयनी एकादशी


युधिष्ठिर ने पूछा : भगवन् ! आषाढ़ के शुक्लपक्ष में कौन सी एकादशी होती है ?
उसका नाम और विधि क्या हैयह बतलाने की कृपा करें 


भगवान श्रीकृष्ण बोले : राजन् ! आषाढ़ शुक्लपक्ष की एकादशी का नाम शयनी’ है।  मैं उसका वर्णन करता हूँ  

वह महान पुण्यमयीस्वर्ग और मोक्ष प्रदान करनेवालीसब पापों को हरनेवाली तथा उत्तम व्रत है   

आषाढ़ शुक्लपक्ष में शयनी एकादशी’ के दिन जिन्होंने कमल पुष्प से कमललोचन भगवान विष्णु का पूजन तथा एकादशी का उत्तम व्रत किया है,

 उन्होंने तीनों लोकों और तीनों सनातन देवताओं का पूजन करलिया  

हरिशयनी एकादशी’ के दिन मेरा एक स्वरुप राजा बलि के यहाँ रहता है

 और दूसरा क्षीरसागर में शेषनाग की शैय्या पर तब तक शयन करता है,

 जब तक आगामी कार्तिक की एकादशी नहीं  जाती

अत:आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी से लेकर कार्तिक शुक्ल एकादशी तक मनुष्य को भलीभाँति धर्म का आचरण करना चाहिए  

जो मनुष्य इस व्रत का अनुष्ठान करता हैवह परम गति को प्राप्त होता है,

 इस कारणयत्नपूर्वक इस एकादशी का व्रत करना चाहिए 

 एकादशी की रात में जागरण करके शंखचक्र और गदा धारण करनेवाले भगवान विष्णु की भक्तिपूर्वक 
पूजा करनी चाहिए 

 ऐसा करने वाले पुरुष के पुण्य की गणना करने में चतुर्मुख ब्रह्माजी भी असमर्थ हैं  

राजन् !
जो इस प्रकार भोग और मोक्ष प्रदान करनेवाले सर्वपापहारी एकादशी के उत्तम व्रत का पालन करता है

वह जाति का चाण्डाल होने पर भी संसार में सदा मेरा प्रिय रहनेवाला है 

 जो मनुष्य दीपदानपलाश केपत्ते पर भोजन और व्रत करते हुए चौमासा व्यतीत करते हैंवे मेरे प्रिय हैं  

चौमासे में भगवान विष्णु सोये रहते हैं

इसलिए मनुष्य को भूमि पर शयन करना चाहिए  

सावन में सागभादों में दहीक्वार में दूध और कार्तिक में दाल का त्याग कर देना चाहिए  

जो चौमसे में ब्रह्मचर्य का पालन करता हैवह परम गति को प्राप्त होता है 

 राजन् ! एकादशी के व्रत से ही मनुष्य सब पापों से मुक्त हो जाता हैअतसदा इसका व्रत करना चाहिए 

 कभी भूलना नहीं चाहिए  शयनी’ और बोधिनी’ के बीच में जो कृष्णपक्ष की एकादशीयाँ होती हैं

गृहस्थ के लिए वे ही व्रत रखने योग्य हैं - अन्य मासों की कृष्णपक्षीय एकादशी गृहस्थ के रखने योग्य नहीं होती  

शुक्लपक्ष की सभी एकादशी करनी चाहिए 














hariom.................

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