रविवार, 23 मई 2010
आशाराम बापू की एक प्राइवेट बात .....
सदगुरूदेव परम पूज्य संत श्री आसाराम बापूजी की अमृतवाणी :-
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अपने पे बीती एक प्राइवेट बात बताऊ ?
भक्तगण बोले हा....
बापूजी बोले...
मेरे बेटे कि माँ और मेरी माँ की बहु मेरी कौन लगती….
आप समझ गए होंगे….
…तो बेचारी की तबियत जरा बुढापे से हल्की हो गयी .
.मेरे को पता चला तो मैंने इंटरकोम पे बात की… फिर ये वो बताने लगी ….
तो मैंने बोला कि , “दो दिन से ये ये लिया थोडा फायदा है तो धीरज रखो .
.क्या होगा….हिम्मत करेगी ठीक हो जाएगा… ऐऽऽ हैऽऽऽऽऽ
बोलो मेरे साथ “
.. .तो वोह बोली … “आइ हई ” (कराहते हुए..)
फिर मैंने बोला , ” इतना सत्संग सुनती हो…जानती हो कि आत्मा अमर है ,
दुःख आया तो शरीर मे आया उसके लिए क्या कराहना ..
जरा प्यार से बोलो .. ऐऽऽ हैऽऽऽऽऽ
.. तो वह थोडी ख़ुशी से बोली , “आइ हैऽऽऽऽऽ “
मैंने और बोला , “शाबास ! …
दवाई ली है , ठीक हो जायेगी…हमारे में भी देवत्व है …
सच्चे गुरु की चेली है … और प्रेम से बोलो ..
और थोडा और थोडा… तो ऐईईईईईईइ हैईईईईईईईईई हा हा हः हः हः
आगरा आश्रम सत्संग २००७ .................
( बापूजी खूब हँसाये सभी को….. धन्य है सदगुरूदेव भगवान की !
अपने संतान रूपी भक्तगणो के चेहरे पे मुस्कान लाने के लिए कैसे कैसे किस्से बताते है…!
वाह मेरे बापू......
अपनी प्राइवेट बात तक हमको समझाने के लिए बताते हो....
और हम नादान फिर भी समझ नही पाते....
धन्यवाद है बापूजी आपको....
दे दो मुझे भी ऐसा ज्ञान ....
बस गाऊ तेरा नाम ......जय बापू आशाराम
सदगुरूदेव की जय हो!!!!!)
hariom
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me ashrab bapu bhakat hu
जवाब देंहटाएंjai gurudev
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