शनिवार, 15 मई 2010
दिल से .........
1..इतने सुख मेरे बापू तुने दिए ....
माना की इन सुखों के काबिल नहीं हूँ मैं ...
हर दुःख में तुने साथ न छोरा...
माना की तेरे साथ के काबिल नहीं हूँ मैं ...
2.तेरी कृपा की छाया मैं बेठी रहू ....
बस इतनी कृपा करना मेरे बापू...
इन चरणों मैं परा रहने दे मुझे ...
माना की इन चरणों के काबिल नहीं हूँ मैं. ..
3.तू ही बता कैसे पाऊ तुजसे तुझी को बापू ....
भटक न जाऊ यह डर है मुझे ...
हाथ पकर-कर राह दिखा दो बापू ...
माना की इस राह पे चलने के काबिल नहीं हूँ मैं ...
4.अब तो शमा कर मेरे गुनाह मेरे बापू ........
हर फैसला तुझ पर छोरा है ...
जान बुझ कर अंजान न बन तू मेरे बापू ...
माना के तेरी माफ़ी के काबिल नहीं हूँ मैं ...
HARIOM
k.hirani
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें