अवतरण दिवस का दिन था , दुबई में रात को ९.३०-११.३० तक २ घंटे का प्रोग्राम था ......
प्रोग्राम अपने समय से चालू हुआ ........
पहले आशा रामायण का पाठ , सत्संग फिर भजन- कीर्तन फिर आरती .......
और आरती के बाद फिर भजन -कीर्तन चालू हो गया , और समय का पता भी नही चला ............
सब साधक भाई -बहेन खो चुके थे उस जोगी की याद मैं .........
आत्माराम मैं खो चुके थे ..........
किसी का भी घडी की तरफ ध्यान नही था ....... हर कोई उस परमात्मा मैं खोया हुआ था ........
जेसी दुबई वालो की श्रधा थी वेसी हे सुनी मेरे जोगी ने उन सबकी .........
जी हा जोगी ने दिखाया अपना चमत्कार और सत्संग २ घंटे की जगह ३.३० घंटे चला .........
और सत्संग ख़त्म होने से पहले ही जोगी ने अपने साक्षात् होने का सुबूत दे दिया.......
जोगी ने दिखा दिया की दुबई वालो आपकी भक्ति मुझे पसंद आई ...
और दुबई के भक्तो को उनकी श्रधा का फल मिला ..........
बापू जी के चमत्कार से जो माला जोगी को पहनाई थी ........
वो सफ़ेद रंग की थी और सत्संग ख़त्म होने तक वो आधी माला गुलाबी रंग की हो चुकी थी........
जो गुलाब की तरह चमक रही थी.........
वाह मेरे जोगी तेरी लीला निराली ..........
तेरा भक्त कही भी रहे............
तू हमेशा उसके साथ रहता है ........
इतनी दूर भी आप अपने भक्तो का कितना ख्याल रखते हो............
मेरे बापू तेरी लीला निराली ...........
जय हो....
जोगी रे क्या जादू है तेरे प्यार मैं...............
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