३ अप्रैल २००९ को मेरी माँ ,जिनकी उम्र ५४ साल है,
को शरीर के बाये भाग मैं लकवा मर गया ,
चेन्नई ,जमशेदपुर आदि कई जगहों पर उनका इलाज कराया पर कुछ लाभ नही हुआ,
इलाज के दौरान १३ अप्रैल को डोक्टोरो ने तो जवाब ही दे दिया....
की अब माता जी ठीक नही होंगी .......
और कुछ ही घंटो की मेहमान है ......
हम सब बहुत घबरा गए
टाटा स्टील फैक्ट्री की सबसे बड़ी डॉक्टर राहुल रॉय ने तो माँ को मृत घोषित कर
अपने लेटरपेड़ पैर लिख के दे दिया की यह मर चुकी है
वह कागज आज भी मेरे पास है
मेने पूज्य बापूजी से २००१ मैं दीक्षा ली थी ,मुझे माँ की ऐसी दुरवस्था में मर्त्यु से बहुत ही छतपथात हुई
मेने श्रधा पूर्वक पूज्य बापूजी से प्रार्थना की और बापूजी की तस्वीर माँ क सिरहाने रख दी
तीन दिन तक हम मृत माँ के शरीर को रखे बापूजी से प्रार्थना करते रहे...
तीसरे दिन रात 9.30 को माँ के शरीर मैं चेतना पुन: लोट आई....
और माँ अचानक जीवित हो गयी...यह देख कर हम दंग रह गए..
तब मुझे श्री आशारामायण की ये पंक्ति याद आई ...
मृत गाय दिया जीवन दाना........
तब से लोगो ने पहचाना...
जिन बापूजी ने मृत गाय को जीवन दाना दिया था यह उन्ही की करुना कृपा है....
हमने माँ के जीवित होने की बात उन डोक्टोरो को बताई जिन्होंने ये "मर चुकी है" लिखित मैं दिया था
तो वे आश्चर्य चकित हो गए और तुरंत ही अपने लेटर पेड़ पे लिखा हुआ काट दिया ...और बोले ...
हमे भी पूज्य बापूजी का लोकेट दीजिये....
फिर मुझे यह पंक्ति स्फुरित हुई ........
मृत माँ दिया जीवन दाना .....
तब डॉक्टरो ने अचरज माना ...
इस घटना को कुछ महीने हो गए ... और मेरी माँ अब एकदम ठीक है ...
कोई तकलीफ नही है यह सब मेरे बापूजी की कृपा से ही हुआ....
ब्रहम ज्ञानी गुरु की शक्ति का,उनके सामर्थ्य का वर्णन कौन कर सकता है ..
सोनिया,जमशेदपुर ,झारखण्ड, फ़ोन : ०६५७ -६५४०९२७
मेरे बापूजी की लीला हे निराली जिसे जाने कोई कोई.....
वाह बापू वाह.....
जय हो..........
हरिओम ........
कमल हिरानी,दुबई
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