रविवार, 27 जून 2010
पर मन में विश्वास था ...(एक साधक का अनुभव)
सदगुरू भगवान की जय....
सदगुरू जी की कृपा कब बरसती है इसका जीता जागता अनुभव किया है मेने....
२८ दिसम्बर २००९ को मैं और मेरी बेटी,बेटा जालंधर स्टेशन ट्रेन पकरने जा रहे थे जो की सुबह ४.३० पर आनी थी
जब हम स्टेशन पे पहुचे तब तक ट्रेन वहा से निकल चुकी थी हम ट्रेन नही पकड़ पाए...
तभी मेने मन ही मन गुरूजी संत श्री आशाराम जी बापू का ध्यान लगाया और प्राथना की अब क्या करे...
तभी अंधर से प्रेरणा मिली की अगले स्टॉप पे जाके ट्रेन पकरो
हमने बाहर निकल के स्कूटर निकाला ओर ७०/८० किमी की स्पीड से चलाया
ट्रेन साथ वाली पटरी पर दौड़ रही थी हमारी सांसे अटकी हुई थी
पर मन में विश्वास था उस दिन सर्दी भी बहुत थी
तथा पग्वारा स्टेशन से २ किमी दूर धुंध सी आ गयी
हमे लगा की ट्रेन अब गयी
फिर मेने सिमरन किया गुरुदेव का तो धुंध हटी और मेने स्पीड बड़ाई
फिर जेसे ही हम स्टेशन पर पहुचे तो देखा की ट्रेन खड़ी है
फिर हम आराम से ट्रेन में बेठे उसके बाद १० मिनट के बाद ट्रेन चली
धन्य है मेरे गुरुदेव जो हम पर इतनी दूर से भी इतनी कृपा करते है
हव्मम चंद,जालंदर छावनी पंजाब
b.mam@rediffmail.com
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वाह बापू वाह ....
केसे आपने चलती ट्रेन को भी रुकवा दिया....
अपने एक भक्त के खातिर ...
कितनी दूर आपका भक्त और कितनी दूर आप...
केसे जान लिया आपने उसके मन की बात....
सच ये कोई भगवान का ही काम हो सकता है ....
किसी साधारण मनुष्य का नही.....
सच मुच बापू आप हमारे भगवान हो ....
धन्य भाग हमारे जो हमने आपको पाया .....
जिसने आपको न पाया ....
आपसे दीक्षा न लेके अपना जीवन धन्य नही बनाया .....
समझो उसने अपना जीवन व्यर्थ गवाया ...
जय हो ...
जपते रहे तेरा नाम ...जय बापू आशाराम...
हरिओम्म्म्म
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