पूज्य बापू कहते हैः
चाहे कोई देखे या न देखे फिर भी कोई है जो हर समय देख रहा है,
जिसके पास हमारे पाप-पुण्य सभी देख रहा है,
जिसके पास हमारे पाप-पुण्य सभी कर्मों का लेखा-जोखा है।
इस दुनिया की सरकार से शायद कोई बच भी जाय
पर उस सरकार से आज तक न कोई बचा है और न बच पायेगा।
किसी प्रकार की सिफारिश अथवा रिश्वत वहाँ काम नहीं आयेगी। उससे बचने का कोई मार्ग नहीं है।
कर्म करने में तो मानव स्वतंत्र है किंतु फल में भोगने में कदापि नहीं,
इसले हमेशा अशुभ कर्मों का त्याग करके शुभ कर्म करने चाहिए।
जो कर्म स्वयं को और दूसरा को भी सुख-शांति दें तथा देर-सवेर भगवान तक पहुँचा दें,
वे शुभ कर्म हैं और जो क्षण भर के लिए ही (अस्थायी) सुख दे
तथा भविष्य में अपने को व दूसरों को भगवान से दूर कर दें,
नरकों में पहुँचा दें उन्हें अशुभ कर्म कहते हैं।
किये हुए शुभ या अशुभ कर्म कई जन्मों तक मनुष्य का पीछा नहीं छोडते।
पूर्वजन्मों के कर्मों के जैसे संस्कार होते हैं, वैसा फल भोगना पड़ता है।
गहना कर्मणो गतिः।
'कर्मों की गति बड़ी गहन होती है।' (गीताः4.17)
कर्म का फल तो भोगना ही पड़ता है,
चाहे कोई इसी जन्म में भोगे, चाहे दो जन्मों के बाद भोग, चाहे हजार जन्मों के बाद भोगे।
हजारों वर्षों तक नरकों में पड़ने के बजाय थोड़ा सा ही पवित्र जीवन बिताना कितना हितकारी है !
मनुष्य-जन्म एक चौराहे के समान है। यहाँ से सारे रास्ते निकलते हैं।
आप सत्कर्म करके देवत्व लाओ और स्वर्ग के अधिकारी बनो
अथवा तो ऐसा कर्म करो कि यक्ष, किन्नर, गंधर्व बन जाओ,
आपके हाथ की बात है।
जप, ध्यान, भजन, संतों का संग आदि करके ब्रह्म का ज्ञान पाकर मुक्त हो जाओ,
यह भी आपके ही हाथ की बात है।
फिर कोई कर्मबंधन आपको बाँध नहीं सकेगा।
(पूज्य बापूजी के सत्संग से निर्मित पुस्तक 'कर्म का अकाट्य सिद्धान्त' से)
ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ
जय हो मेरे साइया ...तेरी जय हो...
कितना मस्त ज्ञान देते हो.....
और हम मुरख समजते ही नही है......
इतनी सरल तरीके से आपका संजना.........
वाह बापू जी वाह......
आपकी जय हो....मेरे साईं...
hariommmmmmmmmmmmmmmmmmm
contact us :kemofdubai@gmail.com
हरिओम .....
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें