बापू का दीवाना........
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सोमवार, 1 नवंबर 2010
मोतियों से अश्क बह जाते है जिसके लिए ..
मोतियों से अश्क बह जाते है जिसके लिए .....
कोशिश है गिरने न दू इन्हें मगर .......
बिनबुलाये बेवजह नामुराद ये आंसू ...
अनथक जाने कहा से चले ही आते है ....
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