आज सुबह जब तुम सो कर उठे तो मैंने तुमको देखा.....................
और सोचा आज जरूर तुम मुझ से कुछ बातें करोगे
भले ही तुम मात्र दो मिनट के लिए ही सही मगर मेरी और जरुर ध्यान दोगे.........
मेरे से उन बातो को करोगे जो कल तुम्हारी जिंदगी में घटित हुई है........
पर तुम तो अपने देनिक कामो में वयसत होने लगे पहनने के लिए कपडे निकलने लगे अपने मोबिल पर बाते करने लगे में इन्तजार करता रहा.........
मगर तुम मेरी और ध्यान ही नहीं दे रहे थे........ मुझे उम्मीद थी तुम कुछ पल निकल के मेरी और देख कर मुस्कराकर मुझे याद जरूर करोगे
पर तुम दुनिया के कामो में से मेरे लिए समय न निकाल सके ........
एक बार तुम्हारे पास कुछ समाये ख़ाली था
लेकिन तब तुम अपने कंप्यूटर पर गेम खेलने लगे बिच में तुम्हे उठता देख मेने सोचा
अभी तुम मुझ से बात करोगे पर नहीं तब तुम फ़ोन पर अपने दोस्तों से सिनेमा में लगी पिक्चर की बाते करने लगे.....
इसी बिच दोपहर के भोजन के समाये भी में देखता रहा की अभी तुम मुझे याद करोगे .......
और भोजन करने से पहले नमस्कार करोगे लेकिन नहीं तुम मेरी और ध्यान ही नहीं दे रहे ......
क्या तुमको कभी इस बात का अहसास हुआ की में तुम्हारी दिन रात चिंता करता हू ........
तुम्हे याद करता हू पर कोई बात नहीं मेने सोचा तुम अपने कारोबार में वयसत हो इस लिए तुम्हारा ध्यान मेरी और नहीं जा रहा........
पर अभी तो सारा दिन बाकि है लेकन शाम होते ही तुम घर को लोट आये फिर भी तुम्हारा ध्यान मेरी और नहीं गया.......
तुम अपने घर परिवार के साथ चाय पिटे पिटे टीवी देखने में मस्त हो गए इसी बीच रात हो गयी ........
तुमने रात्रि का भोजन किया पर मेरी और कोई ध्यान नहीं किया..........
और तुम अपने परिवार को शुभ रात्रि कहते हुए सो गए मेने सोचा की कोई बात नहीं आज में तुम्हे याद नहीं पर में तो सदा तुम्हारे अंग संग सदा तुम्हारे पास हू ........
मैं तुम्हे बहुत प्यार करता हू जिसकी तुम कल्पना भी नहीं कर सकते मैं रोज तुम्हारी एक याद एक इशारे एक प्राथना एक शुक्राने का इन्तजार करता हू........
पर तुम मुझसे बात तक नहीं करते खैर तुम फिर सुबह की नींद से उठने वाले हो एक बार फिर में सम्पुरण प्रेम सहित तुम्हारा इन्तजार करूँगा
इस उम्मीद के साथ की शायाद आज तुम मेरे लिए कुछ समय निकाल सको......................................................
बापू जी आपके दर पे आके मुझे वो सब मिला ,,,,, जो मैंने चाहा मगर में अपने स्वार्थ में अँधा होकर ,,,, आपसे आपकी खैरियत का पूछना भूल गया ,,,,
बापूजी आज जो भी इसको पढ़ेगा ,,,,वो एक बार आपको याद करके ज़रूर बोलेगा ..... बापूजी ,,,,आप कैसे हो???????????? **********
ॐ साईं आशाराम जी.. ***
जय बापूजी की..............
कमल हिरानी....